Hanuman Jayanti Kab Hai, हनुमान जयंती 2023, Hanuman Jayanti
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हर साल चैत्र माह की पूर्णिमा, यानि रामनवमी के ठीक छह दिन बाद, पर संकट मोचन हनुमान जी की जयंती मनाई जाती है | हनुमान जी (hanuman ji) कलयुग (kalyug) में सबसे प्रिय और प्रभावशाली देवताओं में से एक हैं | हनुमान जयंती (hanuman jayanti) बजरंग बली (bajrang bali) के जन्म दिवस के रूप में माने जाता है |
हनुमान जी का जन्म चैत्र माह की पूर्णिमा पर चित्र नक्षत्र व मेष लग्न के योग में हुआ था |
एकनाथ के भावार्थ रामायण में कहा गया है कि जब अंजना रुद्र की पूजा कर रही थी, तब अयोध्या के राजा दशरथ भी संतान प्राप्ति के लिए पुत्रकामेष्टि का अनुष्ठान कर रहे थे। उन्हें अपनी 3 पत्नियों के लिए कुछ प्रसाद प्राप्त हुआ जिससे कालांतर में श्री राम , लक्मण , भारत और शत्रुघ्न का जन्म हुआ | दैवीय संयोग से उस प्रसाद का कुछ अंश एक पतंग के साथ उड़ कर चल गया और वन के उस हिस्से में जाकर गिरा जहाँ अंजना पूजा में लीं थीं | पवन देव ने अपने प्रभाव से इस प्रसाद अंजना के फैलाये हुए हाथों में पहुँचाया | अंजना ने उस प्रसाद को खाया जिसके परिणामस्वरूप हनुमान जी का जन्म हुआ |
हनुमानी जी को विष्णु जी के अवतार श्री राम के एक अतुलनीय भक्त के रूप में जाना जाता है | वे ऊर्जा और शक्ति के रूप में पूजनीय हैं | उन्हें एक ऐसे देवता के रूप में पूजा जाता है जो बुराई पर विजय पाने और सुरक्षा प्रदान करने की क्षमता रखते हैं। इस पर्व पर, हनुमान जी के भक्त उन्हें मनाते हैं और उनकी रक्षा और आशीर्वाद की कामना करते हैं। हनुमान जी को अष्ट सिद्धि और नौ निधि के दाता कहा जाता है | हनुमान जी की भक्ति से व्यक्ति के जीवन में आठ प्रकार की सिद्धियां और नौ प्रकार की निधियां प्राप्त हो जाती है |
इस वर्ष में हनुमान जयंती 6 अप्रैल 2023 को मनाई जाएगी | बजरंग बली की पूजा के लिए हनुमान जयंती पर अभिजित मुहूर्त है – दोपह 12.02 से दोपहर. 12.53
कर्नाटक में हनुमान जयंती वैशाख के दौरान शुक्ल पक्ष त्रयोदशी को मनाई जाती है | तमिलानाडु और केरल में हनुमान जयंती मार्गशीर्ष माह की अमावस्या को तथा उड़ीसा में वैशाख महीने के पहले दिन मनाई जाती है।
Hanuman Jayanti (हनुमान जयंती) चैत्र माह की पूर्णिमा पर क्यों मनाते हैं
चैत्र माह की पूर्णिमा पर हनुमान जयंती मनाने के पीछे एक कथा है। एक बार हनुमान जी ने सूर्य को फल समझकर निगल लिया था | क्रोधित होकर इंद्र देव ने अपने वज्र से उन पर प्रहार किया, जो हनुमान जी की ठोड़ी में लगा और उनकी ठोड़ी टेढ़ी हो गयी। इसी वजह से इनका हनुमान पड़ा |
इस प्रहार की वजह से हनुमान जी अचेत हो गए थे। अपने पुत्र को अचेत अवस्था में देखकर पवन देव क्रोधित हो गए और उन्होंने संसार की प्राण वायु रोक दी |
हनुमानजी के होश में आने के बाद देवताओं के आग्रह पर पवनदेव ने भी वायु प्रवाह का अवरोध खत्म कर दिया । इसके बाद हनुमानजी को सभी देवताओं ने अनेक वरदान दिए। उस दिन चैत्र माह की पूर्णिमा थी। इसी घटना की वजह से चैत्र माह की पूर्णिमा को हनुमान जी का जन्मदिन मनाया जाने लगा।
Hanuman Jayanti साल में दो बार क्यों मनाई जाती है?
जिस दिन माता अंजनी ने हनुमान जी को जन्म दिया था उसी तिथि पर पहली हनुमान जयंती मनाई जाती है | ऐसी मान्यता है कि मात अंजनी की कोख से जन्म लेने के पश्चात् हनुमान जी को बहुत ज़ोर की भूख लगी | उन्होंने सूर्यदेव को एक स्वादिष्ट फल समझ लिया और उन्हें निगल लिया |
वहीं दूसरी हनुमान जयंती दीपावली के दिन मनाई जाती है. मान्यता है कि इस दिन माता सीता ने हनुमान जी के समर्पण और भक्ति भाव को देखकर उन्हें अमरता का वरदान दिया था.
Hanuman Jayanti (हनुमान जयंती) पूजा विधि तथा इसका महत्त्व
हनुमान जी उन 7 मनीषियों जिन्हे चिरंजीवी माना गया है | कलयुग में सबसे प्रभावशाली देवता होने के कारण अंजनिपुत्र की पूजा विशेष रूप से लाभकारी होती है | यदि सच्चे मन से केसरी नंदन की आराधना की जाए तो पवनपुत्र अपने भक्त की रक्षा स्वयं करते हैं और उसके सारे कष्टों को हर लेते हैं |
हनुमान जी की उपासना का एक महत्वपूर्ण लाभ यह भी है कि बजरंग बली के भक्तों पर शनि देव का अशुभ प्रभाव नहीं होता | हनुमान जयंती पर जो भक्त पीपल के पत्ते, बेसन के लड्डू, लाल रंग के पुष्प से इनकी पूजा करता है हनुमान जी उसके जीवन से कष्टों को दूर कर देते हैं तथा उसका जीवन हर्षोल्लास से भर देते हैं |
इस पूजा को करने की सही विधि इस प्रकार है :
हनुमान जयंती के दिन सुबह स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें। बहुत से लोग इस दिन सुबह उठकर नहाने के बाद व्रत रखते हैं तो कुछ लोग 5 या 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं
अब एक लकड़ी की चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाएं और बजरंग बली की प्रतिमा को उस पर स्थापित करें |
इसके बाद बजरंगबली के सामने घी का दीया जलाएं और जल छिड़कर कच्चा दूध, दही, घी और शहद मिलाकर बजरंगबली का अभिषेक करें।
तत्पश्चात बजरंगबली को लाल या पीले रंग का कपड़ा, कलावा, फूल, धूप, अगरबत्ती और दीया आदि अर्पित करें।
इसके बाद हनुमान चालीसा का पाठ करें। इसके अलावा भक्तो को इस दिन हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, सुंदर कांड और रामायण का पाठ करना चाहिए।
इस पृथ्वी पर हनुमान जी उस हर जगह विद्यमान रहते हैं जहाँ भी श्री राम की पूजा होती है | हनुमान जी को प्रसन्न करने का सबसे आसान तरीका है श्री राम की स्तुति करना | हनुमान जयंती पर रामचरित मानस का पाठ करने से केसरी नंदन प्रसन्न होते हैं तथा इससे अपार सुख-संपत्ति और सौभाग्य मिलता है.
हनुमान जी को चोला क्यों चढ़ाया जाता है ?
इस दिन हनुमान जी को चोला चढाने की भी प्रथा है | लेकिन हनुमान जी को चोला क्यों चढ़ाया जाता है इसका उत्तर आपको इस कथा को पढ़ने के बाद मिलेगा |
रामायण कथा के अनुसार त्रेतायुग में एक बार हनुमानजी ने माता सीता को मांग में सिंदूर भरते हुए देखा तो उनसे इसका कारण पूछा। सीताजी ने हनुमानजी से कहा कि ये आपके प्रभु श्री राम की लंबी आयु के लिए है और इससे वे प्रसन्न भी होंगे। ऐसा सुनकर हनुमान जी ने सोचा चुटकी भर सिंदूर से प्रभु श्रीराम इतने प्रसन्न होते हैं तो अगर में अपने पूरे शरीर पर इसे धारण कर लूं तो मेरे प्रभु हमेशा मुझसे प्रसन्न रहेंगे। मन में ये विचार कर उन्होंने सिंदूर को अपने पूरे शरीर पर लगा लिया। जब भगवान राम ने उन्हें देखा तो मुस्कराने लगे और बोले हनुमान ये क्या कर लिया। हनुमान जी बोले प्रभु ये आपकी लंबी आयु के लिए है। उनकी ऐसी भक्ति देख भगवान राम बहुत प्रसन्न हुए और कहा कि आज से जो भी तुम्हें सिंदूर चढ़ाएगा उसके सारे कष्ट दूर होंगे एवं उस भक्त पर सदैव मेरी भी कृपा रहेगी।
हनुमान जी को चोला चढाने की विधि
हनुमानजी को चोला अत्यंत प्रिय है। हनुमान जी को चोला चढ़ाने के लिए मंगलवार और शनिवार का दिन सबसे शुभ माना गया है | यदि मंगलवार को हनुमानजी पर चोला चढ़ाया जाता है तो कुंडली में मंगल दोष का प्रभाव कम होता है और आरोग्य मिलता है वहीं यदि शनिवार के दिन चढ़ाया जाए तो शनि साढ़ेसाती का प्रभाव धीरे धीरे कम हो जाते हैं, जीवन के दुःख मिटते हैं।
हनुमान जयंती के दिन सुबह स्नान करने के पश्चात् लाल रंग के वस्त्र धारण करें |
बजरंगबली की प्रतिमा पर गंगाजल से अभिषेक करने के बाद एक साफ वस्त्र से प्रतिमा को पोछें |
सिंदूर में चमेली का तेल मिला लें और सबसे पहले बली के चरणों में लगाएं और फिर प्रतिमा पर ऊपर से लेकर पैरों तक उन्हें चोला चढ़ाएं.
चोला चढ़ाने के बाद चांदी की वर्क, जनेऊ, साफ वस्त्र पहनाएं. अब 21 या 11 पीपल के पत्तों पर उसी सिंदूर से श्रीराम लिखकर हनुमान जी को पहना दें.
अंजनिपुत्र को चने, गुड़, मिठाई, पान, सुपारी चढ़ाएं और फिर धूप, दीप लगाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें.
आरती करें और हनुमान जी के चरणों से थोड़ा सा सिंदूर लेकर मस्तिष पर लगा लें. मान्यता हैं इससे सभी कष्ट दूर हो जाते हैं | इसके अलावा ही अगर घर के मुख्या द्वार पर इस सिन्दूर से स्वस्तिक बना दे तो सभी नकारात्मक शक्तियों का नाश हो जाता है |
FAQs
हनुमान जयंती का इतिहास क्या है?
हनुमान जयंती एक हिन्दू पर्व है जो एक ऐसे भक्त के जन्म का प्रतीक है जिन्होंने समर्पण, निस्वार्थ सेवा, और साहस की पराकाष्ठा को पा लिया | भगवन राम, जो स्वयं भगवन विष्णु के अवतार हैं, के प्रति उनका समर्पण अतुलनीय है |
2023 में हनुमान जन्मोत्सव कब है?
2023 में हनुमान जयंती 06 अप्रैल को है | बजरंग बली की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 06.06 मिनट से 07.40 मिनट तक का है | अभिजित मुहूर्त दोपह 12.02 से दोपहर. 12.53 तक रहेगा |
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