Hanuman Ji ki Aarti | Hanuman Ji ki Aarti Lyrics

Hanuman Ji ki Aarti

हनुमान, hanuman, हनुमान जी की आरती, hanuman ji ki aarti

Hanuman ji (हनुमान जी) को sanatan dharma (सनातन धर्म) में सबसे बुद्धिमान और शक्तिशाली देवता (devta ) के रूप में पूजा जाता है | हनुमान जी (hanuman ji ) की पूजा के लिए हनुमान जी की आरती (hanuman ji ki aarti) का विशेष महत्व है |

हनुमान जी को shiv ji (भगवान शिव) का रूद्र अवतार माना गया है | इनका जन्म ramayan (रामायण ) काल में भगवान श्री राम की सहायता के लिए हुआ था | ऐसा माना जाता है कि kalyug (कलयुग) में केवल हनुमान जी (hanuman ji) ही हैं जो सभी देवताओ में जीवित हैं |

ऐसी भी मान्यता है कि bajrang bali (बजरंग बली) इस संसार के उन 7 मनीषियों में से एक हैं जिन्हे अमर होने का वरदान मिला था |

हिन्दू धर्म को मानने वाले लोग जीवन में व्याप्त दुखों से मुक्ति पाने के लिए हनुमान जी (hanuman ji) की पूजा अर्चना करते हैं |

महान संत और कवि श्री रामानंद हनुमान आरती (hanuman ji ki aarti) के रचयिता हैं | उन्होंने खासतौर से श्री राम (shri ram) की भक्ति पर ज़ोर दिया था | हनुमान जी की कृपा प्राप्ति के लिए हनुमान आरती की रचना की गयी है |

शिवजी (shiv ji) के अवतार हनुमान जी (hanuman) की पूजा करने से मनुष्य सभी तरह के भय से मुक्त हो जाता है तथा जीवन में आने वाली सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है |

हनुमान जी को मानने वाले भक्त उनकी पूजा के दौरान हनुमान आरती के साथ ही हनुमान मंत्र (hanuman mantra)और हनुमान चालीसा (hanuman chalisa) को भी ख़ासा महत्व देते हैं।

भगवान हनुमान (hanuman) कलयुग (kalyug) के देवता हैं और इनकी पूजा, आराधना और उपवास के लिए मंगलवार का दिन विशेष होता है |

मंगलवार के दिन हनुमान की पूजा और व्रत रखने से हनुमानजी जल्द प्रसन्न हो जाते हैं। बजरंग बली (bajrang bali ) की पूजा में कई तरह के नियमों का पालन करना जरूरी होता है।

हनुमंत (hanumant) पूजा में पान, सिंदूर, लाल फूल, चोला, लड्डू और अक्षत जरूर प्रयोग में लाना चाहिए। मारुति नंदन (maruti nandan) की पूजा के बाद कपूर जलाकर आरती (aarti) करना बहुत ही शुभ माना जाता है।

Hanuman Ji ki Aarti (हनुमान जी की आरती)

आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।
अंजनि पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई।।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुधि लाए।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

लंका जारि असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे।आनि संजीवन प्राण उबारे।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

पैठी पाताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखारे।
बाएं भुजा असुरदल मारे। दाहिने भुजा संत जन तारे।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

सुर-नर-मुनि जन आरती उतारें। जय जय जय हनुमान उचारें।
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।
जो हनुमानजी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

Hanuman Ji ki Aarti PDF

Hanuman Aarti – Video

https://www.youtube.com/watch?v=Cfk0c_Bczr8

FAQs

हनुमान जी की आरती के रचयिता कौन है?

हनुमान आरती (Aarti Kije Hanuman Lala Ki) के रचयिता श्री रामानंद हैं |

हनुमान जी को क्या प्रिय है?

ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी (hanuman) को लड्डू का भोग बेहद प्रिय है | लड्डू का भोग लगाने से हनुमान जी भक्तों की मुरादें पूरी करते हैं |

हनुमान जी को प्राप्त करने के लिए क्या करना चाहिए?

हनुमान जी को प्रसन्न करने का अबसे आसान तरीका है हनुमान चालीसा का पाठ | हनुमान चालीसा का पाठ प्रतिदिन करने से हनुमान जी की कृपा होती है और सभी प्रकार की परेशानियों और कष्टों से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है |

हनुमान जी का असली नाम क्या है?

सबसे पहला और असली नाम मारुति था |

हनुमान जी का इतिहास क्या है?

हनुमान जी (hanuman ) को shiv ji (शिवजी) के सभी अवतारों में सबसे शक्तिशाली और बुद्धिमान माना जाता है | पृथ्वी पर जिन सात मनीषियों को अमर होने का वरदान प्राप्त है उनमे से एक हनुमान जी भी हैं | हनुमान जी का अवतार भगवान राम की सहायता के लिये हुआ इसलिए वे श्रीराम के अत्यधिक प्रिय हैं।

हनुमान जी की सवारी क्या है?

हनुमत्सहस्त्रनामस्तोत्र’ में उन्हें ‘वायुवाहन’ कहा गया है जिसका मतलब है कि उनका वाहन वायु है।

हनुमान की मृत्यु कैसे हुई?

एक बार, भगवान राम (Ram) के वनवास से ayodhya (अयोध्या) लौटने के बाद, नारद मुनि (narad muni) ने दरबार के स्थगित होने के बाद हनुमान से सभी संतों का अभिवादन करने को कहा। लेकिन , नारद मुनि ने हनुमान जी को ऋषि विश्वामित्र (vishwamitra) का अभिवादन ना करने की सलाह दी |

नारद मुनि का मशवरा मानते हुए हनुमान जी ने ऋषि विश्वामित्र के अलावा सभी ऋषियों का अभिवादन किया, लेकिन विश्वामित्र इससे नाराज नहीं हुए। लेकिन नारद मुनि जिनका उद्देश्य वैमनस्य पैदा करना था आगे बढ़े और ऋषि विश्वामित्र को उकसाया।

उकसाए जाने पर, विश्वामित्र ने भगवान राम पर आरोप लगाया और हनुमान को उनके अनादर के कृत्य के लिए मौत की सजा देने को कहा। भगवान राम, जो ऋषि विश्वामित्र के पूर्व छात्र थे, अपने गुरु की आज्ञा की अवहेलना नहीं कर सकते थे और इसलिए, बाणों द्वारा हनुमान के वध का आदेश दिया।

अगले दिन, हनुमान जी को उनके वध के लिए एक खेत में ले जाया गया। लेकिन सब ये देख कर आश्चर्यचकित रह गए कि bajrang bali पर चलाया गे कोई भी तीर उनको हानि नहीं पहुंचा पाया क्योंकि anjaniputra (अंजनिपुत्र) भगवान राम का नाम जपते रहे |

कलयुग में हनुमान जी के दर्शन कैसे होंगे?

प्रभु श्री राम (shri ram) से अमरता का वरदान पाने के पश्चात् हनुमान जी ने पवित्र और ईश्वरीय कृपा प्राप्त स्थान को अपना निवास बनाया | श्रीमद् भगावत् पुराण के अनुसार ऐसा पवित्र स्थान गंधमादन पर्वत (gandhmadan parvat) है। श्री राम के सबसे प्रिय भक्त हनुमान जी इसी स्थान पर निवास करते हैं |

यहाँ बैठे श्री राम की तपस्या में लीन हैं हनुमान

हनुमान का बंदर का चेहरा क्यों है?

बजरंग बली की माता अंजना (anjana) ने एक बार ऋषि दुर्वासा (durvasa) को नाराज कर दिया था | ऋषि ने उन्हें वानर के रूप में जन्म लेने का श्राप दिया था। जब अंजना ने क्षमा याचना तो ऋषि शांत हो गए और कहा कि वह एक पुत्र को जन्म देने के बाद अपने मूल रूप को पुनः प्राप्त कर लेंगी, जो महान यश प्राप्त करेगा।
दुर्वासा ऋषि ने क्यों दिया माता अंजना को श्राप

हनुमान के 5 सिर क्यों हैं?

हनुमान जी का यह रूप रामायण (ramayan) की क्षेत्रीय परंपराओं में नज़र आता है | एक प्रसंग के अनुसार, लंका (lanka) युद्ध के दौरान रावण (ravan) के भाई अहिरावण (ahiravan) ने अपनी मायावी शक्तियों का प्रयोग करके श्री राम (shri ram)और लक्ष्मण (lakshman) को मूर्छित कर दिया और उन्हें पाताल लोक में ले गया | पाताल लोक में अहिरावण ने 5 दिशाओं में 5 दिए जला रखे थे | अहिरावण को ये वरदान प्राप्त था कि जब तक कोई इन पांचों दीयों को एक साथ नहीं बुझएगा, कोई अहिरावण का वध नहीं कर सकता। हनुमान जी ने अहिरावण का वध करने के लिए ही 5 दिशाओं में मुख किये हुए पंचमुखी हनुमान (panchmukhi hanuman) का अवतार लिया और पाँचों दीयों को एक साथ बुझा कर अहिरावण का वध किया | जिसकी वजह से श्री राम और लक्ष्मण उसके बंधन से मुक्त हो गए |

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